मुंबई। देश का पहला हल्दी अनुसंधान केंद्र वसमत में स्थापित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने निर्देश दिया कि देश और दुनिया से हल्दी(Turmeric) की मांग को ध्यान में रखते हुए राज्य के किसानों को हल्दी की खेती और क्लस्टर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मराठवाड़ा और विदर्भ जैसे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में हल्दी के उत्पादन से स्वर्णिम क्रांति आएगी।
सह्याद्री गेस्ट हाउस में हल्दी अनुसंधान केंद्र को लेकर समीक्षा बैठक हुई। बैठक की अगुवाई मुख्यमंत्री श्री शिंदे कर रहे थे इनके अलावा वहाँ पर विपणन मंत्री अब्दुल सत्तार, मृदा एवं जल संरक्षण मंत्री संजय राठौड़, हल्दी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के अध्यक्ष बालासाहेब ठाकरे, पूर्व सांसद हेमंत पाटिल, कृषि विभाग के सचिव वी राधा, भाभा अनुसंधान केंद्र के प्रदीप मुखर्जी और सेंट्रल स्पाइस बोर्ड महाराष्ट्र प्रमुख ममता रुपेलिया भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री श्री शिंदे ने बताया कि वासमत में एक एकीकृत हल्दी अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जा रहा है।इस सेंटर के लिए 800 करोड़ रुपये के फंड को मंजूरी दी गई। मुख्यमंत्री ने इस प्रोजेक्ट को तीन साल में तैयार करने का निर्देश भी दिया।
हल्दी का महत्व
हल्दी का उपयोग दैनिक जीवन से लेकर दवा बनाने तक में किया जाता है। इसलिए देश-दुनिया से हल्दी की भारी मांग है। इस फसल को कम मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता होती है तथा पानी की खपत भी कम होती है। प्राकृतिक आपदाओं से जूझने वाली यह नकदी फसल है और इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने किसानों को प्रोत्साहित। उन्होंने केंद्र को सरकारी संचलन योजनाओं का लाभ देने की बात कही। मुख्यमंत्री ने वसमत हल्दी को GI रैंक मिलने पर बधाई भी दी।
हल्दी से बढ़ेगी किसानों की आय
इस अनुसंधान केंद्र में किसानों को गुणवत्तापूर्ण टिशू कल्चर पौधों के लिए एक प्रयोगशाला, एक हल्दी प्रसंस्करण केंद्र और एक विकिरण केंद्र उपलब्ध कराया जा रहा है। देश में लगभग 50 लाख टन हल्दी की खपत होती है, जिसका आधा उत्पादन महाराष्ट्र में होता है। यह देश का एकमात्र विश्वस्तरीय प्रोजेक्ट है। हल्दी केंद्र के अध्यक्ष हेमंत पाटिल ने परिचय में कहा कि इससे स्थानीय किसानों की हल्दी का निर्यात होगा, साथ ही बेरोजगारों को रोजगार पाने में मदद मिलेगी।