केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्राकृतिक खेती(Natural Farming) को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया है और कहा है कि किसान अपने खेत के एक हिस्से में प्राकृतिक खेती(Natural Farming) करना शुरू करें, इसके लिए सरकार भी शुरुआत के 3 वर्षों तक आर्थिक मदद करेगी।
प्राकृतिक खेती समय की मांग है।जल्द से जल्द प्राकृतिक खेती नहीं अपनाया गया तो मिट्टी की सेहत खेती के लायक़ नहीं बचेगी और ना ही खाने के लायक़ उत्पादित खाद्य पदार्थ, इसके लिए हम सबको जागरूक होना ज़रूरी है। क्योंकि जब हम प्राकृतिक खेती के उत्पाद की माँग करेंगे तभी किसान वैसी खेती करेगा।इस को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें भी लगातार कार्यक्रम आयोजन कर रहीं हैं। अब केंद्र सरकार ने किसानों को प्राकृतिक खेती करने पर सब्सिडी देने की बात कही है, इससे किसान और प्रोत्साहित होंगे।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 19 जुलाई को ‘प्राकृतिक खेती के विज्ञान पर क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम’ का आयोजन किया गया था। उसी आयोजन में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री के धरती मां को रसायनों से बचाने के सपने को पूरा करते हुए हम पूरी कोशिश करेंगे कि आने वाले समय में किसान रसायन मुक्त खेती की तरफ बढ़ें ताकि आने वाली पीढ़ी स्वस्थ्य रहे।
कृषि मंत्री ने किसानों से अपील करते हुए कहा की किसान अपने खेत के एक हिस्से पर प्राकृतिक खेती करें, शुरुआती तीन सालों में जब किसान प्राकृतिक खेती करेंगे तो पैदावार कम होगी और ऐसी स्थिति में सरकार किसानों को सब्सिडी देगी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से उगाए हुए अनाजों, फलों और सब्जियों की बिक्री से किसानों को डेढ़ गुना ज्यादा दाम मिलेंगे।
मंत्री ने आगे कहा कि प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में अध्ययन के लिए देश के कृषि विश्वविद्यालयों में प्रयोगशालाएं स्थापित किए जाएंगे। और कहा कि देश के 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक किया जाएगा ताकि वे देश के हर कोने में जाकर इसका प्रचार कर सकें।
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प्राकृतिक खेती क्या है?
आपको बता दें कि प्राकृतिक खेती वह खेती होती है, जिसमें फसलों पर किसी भी प्रकार का केमिकल फर्टिलाइजर का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसमें सिर्फ प्रकृति द्वारा निर्मित खाद और अन्य पेड़ पौधों के पत्ते खाद, गोबर खाद प्रयोग किया जाता है।जो फसलों, जीव-जन्तु और पेड़ों को एकीकृत करके रखती हैं।
भारत में, पारंपरिक कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत प्राकृतिक खेती को भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति कार्यक्रम (BPKP) के रूप में बढ़ावा दिया जाता है।बीपीकेपी का उद्देश्य पारंपरिक स्वदेशी प्रथाओं को बढ़ावा देना है, जिससे बाहर से खरीदे जाने वाले इनपुट में कमी आए।
प्राकृतिक खेती का फ़ायदा
1.इसमें लागत कम लगती है और इसके वजह से रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास की संभावनाएं भी हैं।
2.प्राकृतिक खेती में किसी भी सिंथेटिक रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है, इसलिए यह बेहतर स्वास्थ्य लाभ देता है।
3.इसमें पानी की खपत कम होती है।
4.प्राकृतिक खेती का सबसे अहम प्रभाव मिट्टी के जीव विज्ञान पर पड़ता है।इससे मिट्टी के सेहत बना रहता है।
5.इससे पर्यावरण का भी संरक्षण होता है क्योंकि इसमें बहुत कम कार्बन और नाइट्रोजन उत्सर्जन के साथ पानी का कम से कम प्रयोग होता है।
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