कृषि मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में मक्का(Maize) उत्पादन में 10 मिलियन टन की वृद्धि करने का लक्ष्य रखा है।क्योंकि मक्के का प्रयोग फ़ूड के साथ-साथ पोल्ट्री फीड और इथेनॉल उत्पादन के लिए भी किया जा रहा है।कृषि मंत्रालय के अनुसार 2022-23 में खरीफ, रबी और ग्रीष्मकालीन तीनों मिलाकर कुल 38 मिलियन टन मक्का का उत्पादन हुआ था। देश के 15 राज्यों के 78 जिलों में मक्का उत्पादन बढ़ाने की मुहिम शुरू हुई है. किसानों को बांटे उन्नत किस्मों के बीज जा रहे हैं और उन्नत मक्का उत्पादन की ट्रेनिंग दी जा रही है.
देश में गेहूं और चावल के बाद मक्का सबसे अधिक उगाया जाने वाला अनाज है। अब बदलते समय में इसका महत्व और बढ़ गया है, क्योंकि यह न सिर्फ इंसानों के खाने के काम आता है बल्कि अब इसकी डिमांड पोल्ट्री इंडस्ट्री में फीड के लिए किया जा रहा है और इससे ज़्यादा अब इसको एनर्जी क्रॉप के तौर पर देखा जा रहा है।क्योंकि इसका उपयोग एथेनॉल (Ethanol) बनाने में किया जा रहा है। जिसे पेट्रोल के साथ मिलकर देश में फ्यूल की डिमांड को पूरा किया जाएगा, इससे देश में पेट्रोलियम का आयात कम और अन्नदाताओं को फायदा भी होगा।सरकार की पूरी कोशिश है कि किसान अन्नदाता के साथ ऊर्जादाता भी बने।
उत्पादन बढ़ाने में जुटा IIMR
इसके लिए केंद्र सरकार ने “इथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि” नामक प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसकी जिम्मेदारी ICAR के अधीन आने वाले भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) को दी गई है। इसके तहत मक्का उत्पादन बढ़ाने के लिए ज़ोर दिया जाएगा। इस मुहिम में एफपीओ, किसान, डिस्टिलरी और बीज उद्योग को साथ लेकर काम किया जाएगा।इसके तहत इस समय किसानों को ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों के बीजों का वितरण किया जा रहा है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में डीएचएम-117 और डीएचएम-121 किस्म के 3000 किलो बीज अब तक बांट भी दिए गए हैं।
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इन 15 राज्यों में उत्पादन बढ़ाने पर होगा काम
IIMR के वरिष्ठ मक्का वैज्ञानिक डॉ. एसएल जाट ने इस प्रोजेक्ट के बारे में मीडिया से जानकारी दी और बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत पूरे भारत के आंध्र प्रदेश, असम, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, उत्तराखंड, कर्नाटक और हरियाणा राज्य के कुल 78 जिलों को शामिल किया गया है, जहां मक्का का उत्पादन बढ़ाने का अभियान चलाया जाएगा।
1500 एकड़ में होगी मक्के की बुवाई
इसके तहत 1500 एकड़ में मक्के की बुवाई की जानी है, जिसमें से खरीफ 2024 सीजन में 1140 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है। सभी चयनित जिलों में इसके लिए उन्नत बीज बांटे जा रहे हैं। अभी तक बायोसीड, डीएमएच 117, डीएमएच 122, डीएमआरएच 1308, पायनियर 3401, पायनियर 3396, डीकेसी 9144, डीकेसी 9133 और डीकेसी 9178 के साथ-साथ कोर्टेवा, बायोसीड, बेयर जैसी कंपनियों के बीजों को भी शामिल किया गया है।
IIMR के डायरेक्टर ने कहा
भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. हनुमान सहाय ने मीडिया से बताया कि सरकार फ्यूल के लिये इथेनॉल का अधिक उत्पादन करना चाहती है जिसके लिए मक्का के अधिक उत्पादन करना ज़रूरी है। केंद्र सरकार ने 2025-26 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा है। इथेनॉल का उत्पादन गन्ना, मक्का और कटे चावल से प्रमुख तौर पर होता है। लेकिन गन्ने और धान की फसल में ज्यादा पानी की खपत होती है, जबकि मक्का में बहुत कम पानी लगता है। इसलिए इथेनॉल के लिए मक्के का उपयोग करना प्रकृति के लिए भी अच्छा होगा। इसके लिए IIMR ने 15 राज्यों के 78 जिलों में सर्वोत्तम प्रबंधन प्रथाओं और उन्नत किस्मों का प्रसार कर रहा है, ताकि मक्का का उत्पादन बढ़े।
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