धान के अलावा ज्वार, बाजरा, रागी और सांवा खरीफ सीजन की प्रमुख फसलें हैं जिसे मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में उगाया जाता है। ये कठोर वातावरण के लिए उपयुक्त होने के साथ बहुपयोगी फसलें भी कहलाती हैं। कृषि विभाग ने देश के किसानों को मिलेट(Millets) की खेती करने का सुझाव दिया है क्योंकि इसके खेती में पानी कम लगता है और पैदावार भी अच्छा होता है।
भारत में मोटे अनाज और इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा “श्री अन्न योजना” की शुरुआत की गयी है। जिसके अंतर्गत आज कई राज्य सरकारें अपने स्तर पर योजनाएं लागू कर मोटे अनाज(Millets) की उत्पादकता बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
देश को ‘श्री अन्ना’ के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने के लिए, भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान (IIMR), हैदराबाद को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेस्ट प्रैक्टिस, रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी को साझा करने के लिए ग्लोबल सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस घोषित किया गया है। इसमें किसानों, महिला किसानों, छात्र और युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। और ये संस्थान “रेडी टू ईट” और “रेडी टू कुक” टैग के तहत मोटे अनाज खाद्य पदार्थों की ब्रांडिंग भी किया जा रहा है।
अच्छे उत्पादन के लिए किसान ये करें–
1.फसल उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए उन्नत एग्रीकल्चर प्रैक्टिस के साथ-साथ फसल को कीटों व रोगों से बचाना बहुत जरूरी है।
2.बाजरा की फसल को कीटों व रोगों से बचाने के लिए विभागीय सिफारिशों के अनुसार रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करें।
3.किसान बीजों को F.I.R. क्रम में अर्थात फफूंद नाशी, कीटनाशी से बीजों को उपचारित करने के बाद ही जीवाणु कल्चर से बीजों को उपचारित करें और बीजोपचार करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क लगाये रखें।
4.बाजरा की फसल में तुलासिता, हरितबाली रोग, अरगट रोग तथा दीमक व सफेद लटकीट के प्रकोप से बचाने के लिए बीजोपचार ज़रूरी है।
5.बुवाई से पहले बीजों को एजोटोबेक्टर जीवाणु कल्चर से उपचारित करने से फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होती हैं। बीजों को एजोटोबेक्टर जीवाणु कल्चर से उपचारित करने के लिए 500 मिली लीटर पानी में 250 ग्राम गुड़ को गर्म करके घोल बनाए और घोल के ठंडा होने पर इसमें 600 ग्राम जीवाणु कल्चर मिलाएं। इस मिश्रण से एक हैक्टेयर क्षेत्र में बोए जाने वाले बीज को इस प्रकार मिलाएं कि सभी बीजों पर इसकी एक समान परत चढ़ जाएं। इसके बाद इन बीजों को छाया में सुखाकर शीघ्र बोने के काम में लाएं।
Millets को बढ़ावा देने के लिए और क्या किया जा रहा है
भारत से मोटे अनाज निर्यात के प्रमोशन, मार्केटिंग और डेवलपमेंट की सुविधा के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए एक एक्सपोर्ट प्रमोशन फोरम की स्थापना की गई है। ‘ईट राइट’ अभियान के तहत, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) स्वस्थ और विविध आहार के हिस्से के रूप में मोटे अनाज के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता पैदा कर रहा है। साथ ही सरकारी कर्मचारियों के बीच श्री अन्न की खपत को प्रोत्साहित करने के लिए, सभी सरकारी कार्यालयों में श्री अन्न से बने स्नैक्स को शामिल करने की सलाह दी गई है।
इसके अलावा, भारत सरकार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत राज्यों को राज्य की विशिष्ट जरूरतों के लिए काम कर रही है।मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए असम, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मिलेट मिशन शुरू किए गए हैं। जिसके तहत राज्य सरकारें किसानों को इसकी खेती के लिए आर्थिक मदद करती है।
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