पंजाब में जुलाई शुरू होने के साथ ही बासमती धानों की बुवाई भी शुरू हो गई. पंजाब वह राज्य है जो देश भर में बासमती उत्पादन में सबसे ज्यादा कॉनट्रिब्यूट करता है. इस बार वहाँ की सरकार को उम्मीदें हैं कि बासमती चावल की पैदावार बढ़ेगी. यह उम्मीद इस बात से दिखाई देती है कि इस बार पंजाब सरकार ने यह टारगेट रखा है कि इस बार राज्य में बासमती की बुवाई वाले क्षेत्र 40 परसेंट तक बढ़ेंगे.
राज्य के कृषि विभाग का कहना है कि हमारी योजना सिर्फ बासमती के बुवाई क्षेत्र को बढ़ाने की नहीं है बल्कि पिछले साल से शुरू की गई DSR (Direct Seeding of Rice) के तहत इन धानों की बुवाई पर भी है ताकि इस तकनीक की मदद से पानी और किसानों के श्रम की बचत हो.विभाग ने इस साल राज्य में DSR के माध्यम से एक लाख हेक्टेयर में बासमती की बुआई का लक्ष्य रखा है.
धानों की किस्म में बासमती एक ऐसा धान है जो अपने क्वालिटी के लिए जाना जाता है. लेकिन जाहिर है गुणवत्ता अपने साथ एक कीमत लिए आती है. बासमती के लिए ये कीमत ज्यादा पानी और ज्यादा खाद है. देश के कई हिस्से ऐसे भी हैं जहां संसाधनों और पानी की कमी के कारण किसान इसकी खेती से परहेज करते हैं. लेकिन पंजाब ऐसी स्थितियों से जुदा है.
पंजाब के कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने कहा,
“पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर और तरनतारन की बासमती बेल्ट में किसान पहले से ही DSR टेक्नीक अपना चुके हैं.इस साल , डीएसआर के जरिए बोया जाने वाला कुल एरिया पिछले साल के 1.72 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2 लाख हेक्टेयर हो जाएगा। गैर-बासमती किस्मों में डीएसआर बुआई तकनीक का क्षेत्रफल पहले से ही 90,000 हेक्टेयर है. बाकी बचा लक्ष्य बासमती की खेती से हासिल किया जाएगा।“
विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, बासमती धान का रकबा 10 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल 5.96 लाख हेक्टेयर था. पिछले साल बासमती की किसानों को अच्छी कीमत मिलने यह उम्मीद की जा रही है कि बासमती धानों का रकबा बढ़ने वाला है.
साल 2023 में, बासमती की औसत कीमत 3,800 रुपये प्रति क्विंटल रही थी. हालांकि पंजाब में ही कई जगहों पर ये 5,000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक में बिकी. इससे एक साल पहले स्थिति और खराब थी जब बासमती केवल 2,700-3,000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक पाई थी.
इसके अलावा ये सुनिश्चित करने के लिए कि सरकार जो भी बासमती एक्सपोर्ट करे उसकी क्वालिटी बढ़िया हो, इसके लिए सरकार बासमती खेती को कीटनाशक मुक्त रखना चाहती है. इसीलिए, राज्य सरकार ने 10 प्रकार के कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है, जिनमें एसेफेट, बुप्रोफेज़िन, क्लोरोपाइरीफोस, हेक्साकोनोज़ोल, प्रोपिकोनैक्सोल, थियामेथोक्साम, प्रोफेनोफोस, इमिडाक्लोप्रिड। , कार्बेन्डाजिम और ट्राइसीलाज़ोल। इसकी बिक्री, वितरण और उपयोग पर प्रतिबंध 15 जुलाई से लागू होगा.
तो कुल मिलाकर बासमती की खेती पर पंजाब सरकार गंभीर दिखाई दे रही है. सरकार की इस गंभीरता का फायदा बासमती बोने वाले किसानों को किस तरह और कितना मिलने वाला है, इस सवाल का जवाब मिलने में अभी वक्त है.