नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज, बुधवार शाम 5 बजे कैबिनेट और कैबिनेट कमिटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स (CCEA) की बैठक होनी है। Modi 3.O की यह दूसरी कैबिनेट बैठक होगी।
इस बैठक में 14 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) रिवीजन पर चर्चा होने की बात कही जा रही है। साथ ही दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए MSP में 10% तक की बढ़ोतरी पर भी चर्चा होने की संभावना है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ आज के कैबिनेट और CCEA की बैठक में उड़द और तूर के MSP में 10%, सोयाबीन में 7 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने की संभावना। वहीं, धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 5% तक की बढ़ोतरी का भी प्रस्ताव है। इसे लेकर कृषि लागत और मूल्य आयोग(CACP) ने सरकार को अपनी सिफारिश सौंप दी है।
क्यों ज़रूरी है फसलों की MSP?
आपको बता दें कि MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को दी जाने वाले एक गारंटी की तरह होती है, जिसमें तय किया जाता है कि बाजार में किसानों की फसल किस दाम पर बिकेगी।
दरअसल, फसल की बुआई के दौरान ही फसलों की कीमत तय कर दी जाती है और यह तय कीमत से कम में बाजारों में नहीं बिकती है।
MSP तय होने के बाद बाजार में फसलों की कीमत गिरने के बाद भी सरकार किसानों को तय कीमत पर ही फसलें खरीदती है।
MSP का उद्देश्य फसल की कीमत में उतार-चढ़ाव के बीच किसानों को नुकसान से बचाना है।और हाँ अगर किसी फसल को बढ़ावा देना होता है तो भी सरकार उस फसल पर MSP देती है जिससे किसान उस फसल की खेती करने की सोचते और करते हैं।
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समझें क्या है CACP?
CACP (Commission for Agricultural Costs and Prices) कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला आयोग है।
ये गेहूं, धान समेत कुल 23 फसलों पर MSP की सिफारिश जारी करता है।
कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर ही सरकार हर साल 23 फसलों के लिए MSP का ऐलान करती है। इन 23 फसलों में सात अनाज (मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेहूं, जौ और रागी), पांच दालें (मूंग, अरहर, चना, उड़द और मसूर), सात तिलहन (सोयाबीन, तिल, सूरजमुखी, कुसुम, मूंगफली, तोरिया-सरसों, और नाइजर बीज) और चार कमर्शियल फसलें (कपास, खोपरा, गन्नाऔर कच्चा जूट) शामिल हैं।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।