सरकार का दावा- भारत के पास गेहूं का पर्याप्‍त स्‍टॉक, आयात शुल्‍क में बदलाव की कोई योजना नहीं

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नई द‍िल्‍ली। सरकार ने गुरुवार को कहा कि भारत के पास घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त गेहूं का स्टॉक (Wheat Stock) है और कीमतों को स्थिर रखने के लिए जरूरत पड़ने पर बाजार में हस्तक्षेप किया जा सकता है। साथ ही सरकार ने कहा कि फिलहाल अनाज पर आयात शुल्क (Import Duty) में बदलाव की कोई योजना नहीं है। बयान में कहा गया है, ”उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग गेहूं के बाजार मूल्य पर बारीकी से नजर रख रहा है।”

उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग गेहूं के बाजार मूल्य पर सक्रिय रूप से नजर रख रहा है। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी कि कोई जमाखोरी न हो सके और कीमत स्थिर रहे।

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आरएमएस 2024 के दौरान खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने 112 मिलियन एमटी गेहूं का उत्पादन होने की सूचना दी है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने आरएमएस 2024 के दौरान 11 जून, 2024 तक लगभग 266 एलएमटी गेहूं की खरीद की है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकता, जो लगभग 184 एलएमटी है, को पूरा करने के बाद, आवश्यकता पड़ने पर बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए पर्याप्त गेहूं का भंडार उपलब्ध होगा।

बफर स्टॉकिंग मानदंड वर्ष की प्रत्येक तिमाही के लिए अलग-अलग होते हैं। 1 जनवरी, 2024 तक गेहूं का भंडार 138 एलएमटी के निर्धारित बफर मानक के मुकाबले 163.53 एलएमटी था। गेहूं का स्टॉक किसी भी समय तिमाही बफर स्टॉक मानदंडों से नीचे नहीं रहा है। इसके अलावा, वर्तमान में गेहूं के आयात पर शुल्क संरचना में बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं है।

Arvind Shukla

Arvind Shukla is a freelance journalist and founder of News Potli, a website that tells the stories of farmers, women, and tribal people.

Based in Lucknow, Uttar Pradesh, he grew up in a farming community and has spent years documenting the impact of climate threats, such as droughts, floods, and water shortages, on farmers and their livelihoods.

He has previously written about the plight of sugar workers, including a story focusing on how mills in Uttar Pradesh and Maharashtra owe sugarcane cutters billions in outstanding payments.

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