कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने गुरुवार को कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर ICAR) को बायोफोर्टिफाइड बीजों (biofortified crop) की किस्मों का विकास और विभिन्न क्षेत्रों के बीच उपज के अंतर को कम करने पर ध्यान देना चाहिए। कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में मंत्री ने कहा कि नई तकनीक विकसित करके बायो-फोर्टिफाइड फसलों को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाने चाहिए। इसके अलावा, उन्हें सभी क्षेत्रों में फसलों की उत्पादकता में संतुलन हासिल करने का प्रयास करना चाहिए।
बायोफोर्टिफाइड फसलों (Biofortified crop) पर जोर
चौहान ने कहा, “हमें काम का आकलन करना चाहिए और हमारे पास एक नेटवर्क होना चाहिए और क्या हमारा नेटवर्क अपेक्षित परिणाम देने में सक्षम है, क्या यह ठीक से काम कर रहा है या नहीं, जिस उद्देश्य के लिए इसे बनाया गया था। अगर कोई कमी है, तो एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि यदि लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं और उन्हें हासिल किया जाता है तो एक नई क्रांति लाई जा सकती है। “आप इस बात की समीक्षा कर रहे होंगे कि हमारे लक्ष्य क्या थे और हमने कितना हासिल किया। अगर हम कम हासिल कर पाए, तो किन कमियों को पूरा करने की जरूरत है। ऐसा करके हम 2047 के लिए तय लक्ष्यों को हासिल कर लेंगे। हमें हर साल के लिए लक्ष्य भी तय करने चाहिए।” उन्होंने वार्षिक लक्ष्यों की नियमित समीक्षा पर जोर दिया।
इस बात की ओर इशारा करते हुए कि झारखंड में सिंचित और असिंचित क्षेत्रों में उत्पादकता देश के बाकी हिस्सों की तुलना में कम है, उन्होंने उत्पादकता को संतुलित करने के लिए अभियान चलाने का आह्वान किया।
मध्य प्रदेश में अपने अनुभव से चौहान ने कहा कि उत्पादकता में सुधार एक प्राथमिकता होनी चाहिए, एक ऐसा क्षेत्र जिसे पिछले 10 वर्षों में उपेक्षित किया गया क्योंकि ध्यान किसानों की आय पर था। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों को उत्पादकता बढ़ाने, उत्पादन लागत कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया।
क्या है बायोफोर्टिफाइड (what is Biofortified crop)
यह पौधों के प्रजनन जैसे आनुवंशिक दृष्टिकोण के माध्यम से पौधों के खाद्य भागों की पोषण गुणवत्ता को बढ़ाने की एक प्रक्रिया है। उदाहरण के लिए, (i) आयरन और जिंक से भरपूर गेहूं के दाने, (ii) प्रोटीन और जिंक से भरपूर चावल के दाने, और (iii) विटामिन-ए से भरपूर मक्का के दाने।
पौधों की आनुवंशिक संरचना को बदलकर इसकी उत्पादकता को अधिक स्वास्थ्यकर एवं पौष्टिक बनाना ही जैव-सुदृढ़ीकरण या बायोपफोर्टिपिफकेशन कहलाता है। जैव सुदृढ़ीकरण से मुख्य खाद्य पफसलों के पोषण में सूक्ष्म तत्वों की मात्रा को बढ़ाने के लिये तुलनात्मक रूप से लागत प्रभावी और दीर्घकालिक साधन उपलब्ध करवाने में सुधार किया जा सकता है। जैव सुदृढ़ीकरण द्वारा कुपोषित ग्रामीण आबादी, जिनके पास खाद्य पदार्थों और पूरक आहार के सीमित स्रोत हैं, उनको व्यावहारिक साधन प्रदान किये जा सकते हैं।