बढ़ती गर्मी के बीच लगातार बढ़ रही महंगाई आम लोगों को और परेशान कर रही है। दाल, तेल के बाद प्याज की कीमत एक बार फिर तेजी से बढ़ रही है। मंडियों में पिछले दो सप्ताह के दौरान प्याज की आवक 30 से 35% कम हुई है। जबकि ईद-अल-अज़हा (बकरा ईद) से पहले मांग बढ़ गई है। व्यापारियों ने इस उम्मीद में स्टॉक रखना शुरू कर दिया है कि केंद्र सरकार कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कोई कदम उठा सकती है।
नासिक की लासलगांव मंडी में सोमवार को प्याज का औसत थोक मूल्य 26 रुपए प्रति किलोग्राम था, जबकि 25 मई को यह 17 रुपए था। राज्य के कई थोक बाजारों में सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले प्याज की कीमत, जिसका कुल कारोबार में हिस्सा छोटा है, 30 रुपए प्रति किलोग्राम को पार कर गई है। हाल ही में कीमतों में वृद्धि का मुख्य कारण मांग और आपूर्ति के बीच की अंतर है। जून से बाजारों में आने वाला प्याज किसानों और व्यापारियों द्वारा रखे गए स्टॉक से आता है। किसान अपने स्टॉक से बिक्री में धीमी हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि 2023-24 की रबी फसल में अपेक्षित गिरावट के कारण कीमतें बढ़ेंगी। हालांकि 40% निर्यात शुल्क के कारण निर्यात की गति धीमी है। लेकिन व्यापारियों का दावा है कि 17 जून को ईद-उल-अजहा के लिए प्याज की घरेलू मांग मजबूत है।
महाराष्ट्र के नासिक के प्याज व्यापारी विकास सिंह ने कहा, “महाराष्ट्र के प्याज की मांग मजबूत है, खासकर दक्षिणी राज्यों से।” बागवानी उत्पाद निर्यातक संघ के अध्यक्ष अजीत शाह ने कहा, “कीमतों में तेजी का एक मुख्य कारण यह है कि किसान और स्टॉकिस्ट को लगता है कि केंद्र सरकार निर्यात शुल्क हटा सकती है। इस धारणा के आधार पर वे कीमतों में तेजी की उम्मीद में प्याज को रोके हुए हैं।”