न्यूनतम निर्यात मूल्य(MEP) से भी कम हुई बासमती चावल की निर्यात कीमतें


रिपोर्ट के अनुसार सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम निर्यात मूल्य(MEP) से भी कम हो गयी है बासमती चावल का निर्यात मूल्य जिसका असर वैश्विक खरीदारों और घरेलू कीमतों पर पड़ रहा है। MEP परिवर्तन, बासमती व्यापार प्रतिस्पर्धात्मकता और मूल्य दबाव पर सोचने की ज़रूरत हैं।
देश में मानसून और ला नीना के पूर्वानुमान बासमती उत्पादन को प्रभावित करता हैं, जबकि भारत के वर्षा पैटर्न और खपत के रुझान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इकोनॉमिक टाइम्स के एक रिपोर्ट के अनुसार बासमती चावल का निर्यात मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम निर्यात मूल्य $950 प्रति टन से काफी नीचे गिरकर $800-$850 प्रति टन हो गया है, और कम कीमतों के बावजूद, कुछ वैश्विक खरीदार हैं।

निर्यात उठाव कम होने से घरेलू कीमतें भी 75 रुपये प्रति किलोग्राम से गिरकर 65 रुपये प्रति किलोग्राम तक आ गई हैं। निर्यातकों का कहना है कि आयात करने वाले देशों ने सरकार द्वारा पिछले अगस्त में MEP को बढ़ाकर 1200 डॉलर प्रति टन करने और फिर अक्टूबर में इसे घटाकर 950 डॉलर प्रति टन करने से पैदा हुई अनिश्चितता के बाद जल्दबाजी में भारत से अच्छी मात्रा में बासमती चावल खरीदा था।

पंजाब चावल निर्यातक संघ ने इस मामले को देखने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद विकास प्राधिकरण (APEDA) को पत्र लिखा है ताकि निर्यातकों को MEP लगाए जाने से नुकसान न हो।
APEDA बासमती निर्यात अनुबंधों का पंजीकरण जारी करने वाली नोडल एजेंसी है।

Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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