महिला दिवस पर मिलिए इन महिलाओं से जो ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ खास कर रहीं

लखनऊ(उत्तर प्रदेश)। महिलाएं खेती ही नही ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ हैं। आज महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। अब महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ रही है। न्यूज पोटली की इस स्टोरी में मिलिए उन महिलाओं से जो अपने क्षेत्र में कुछ ना कुछ नया कर रही हैं।

1.उत्तर प्रदेश बहराइच जिले की ये महिलाएं गोबर, नीम, अदरक, सोयाबीन, प्याज आदि से तैयार उत्पादों को न सिर्फ खुद इस्तेमाल कर रही हैं बल्कि इन उत्पादों को पैक करके वे किसानों तक पहुंचा भी रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ तक इनकी तारीफ कर चुके हैं। ये महिलायें उन करोड़ों महिलाओं के लिए उम्मीद कि वो किरण है जो रास्ते पर चल कर ना केवल वो अपना भविष्य संवार सकती हैं, रूरल डेवलपमेंट में भी अपना योगदान दे सकती हैं। इन महिलाओं के यहां तक पहुंचने की कहानी काफी दिलचस्प है। कैसे इन्होंने बायोफर्टीलाइज़र के लिए सही रास्ते का चुनाव किया।
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2.लखनऊ की रहने वाली 27 साल की अनुष्का जायसवाल विदेशी सब्जियों की खेती करती हैं। उन्होने दिल्ली के हिंदू कॉलेज से इकनोमिक्स मे ग्रेजुएशन किया है। उनकी उगाई सब्जियां शहर के बड़े होटलों में जाती हैं। अब वे पॉलीहाउस और लो-टनल में एग्ज़ॉटिक सब्जियों की खेती करके लाखों कमा रही हैं। अनुष्का एक युवा किसान के तौर पर बिल्कुल अलग हटकर खेती करती हैं। उन्होने एक युवा किसान के रूप मे खेती के कई मिथक तोड़कर एक समृद्ध किसान बन गई हैं। घर से 40 किलोमीटर दूर मोहनलालगंज क्षेत्र में लाल-पीली शिमला मिर्च, ज़ुकिनी, लेट्यूस, ब्रॉकली, रेड कैबेज जैसी विदेशी सब्जियों की खेती करती हैं। उनकी सब्जियां लखनऊ के बड़े-बड़े होटल, मॉल और रेस्टोरेंट में सप्लाई की जाती हैं। इसके साथ ही ऑनलाइन माध्यम से भी बेचती हैं। उन्होने बताया कि वर्ष 2023 में करीब 1 करोड़ का कारोबार किया है।
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3.गुड़गांव की रहने वाली मनीषा निगम मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से हर्बल गुलाल और धूप, अगरपत्ती, कोन जैसी पूजा सामग्री बनाती हैं। इसके लिए वे रोज सुबह उठकर शहर के 8 से 10 मंदिरों से चढ़े हुए फूल ले आती । फूलों से कचरे को अलग करके सुखाती हैं। उसके बाद पीसकर पाउडर बना लेती । बाद उससे पूजा सामग्री समेत अन्य़ सुगंधित उत्पाद बनाती हैं। इस काम में उनका आठ महिलाएं साथ देती हैं। मनीषा की इस मुहिम से मंदिर के फूल कूड़े में नहीं फेके जाते नदियों में नहीं बहाये जाते। उनके यहाँ बनाये गए पूजन सामग्री ईको फ्रेंडली होती है।
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4.”मैं नेशनल लेवल की खिलाड़ी हूं मेरे पापा की मृत्यु होने के कारण मैं आगे नही खेल पाई। मैने स्टेट लेवल पे भी गोल्ड मेडल जीता है और नेशनल पे भी मैने तीन गोल्ड जीते हैं। पूलरिंग गेम में नेशनल और गोल्ड मेडल जीता है और कोच भी रही हूं। मैने जो भी गेम खेला है उसमें गोल्ड मेडल ही जीती है।2015 में पापा का मृत्यु के बाद मेरी पढाई छूट गई। अब घर की जिम्मेदारी मेरे ऊपर है। “रजनी देवी रजनी के ऊपर घर की पूरी जिम्मेदारी है। वे एक एथलीट थीं हालात ने उन्हे अब खेत में काम करने को मजबूर कर दिया है।

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5.मध्य प्रदेश के भोपाल में रहने वाली प्रतिभा तिवारी जैविक उत्पादों की मार्केटिंग पर काम करती हैं। वो किसानों को जैविक खेती करवाती हैं जिसकी पैकिंग और ग्रेडिंग कर शहरी उपभोक्ताओं तक पहुंचाती हैं। प्रतिभा कहती हैं लोग अच्छा खाने को लेकर जागरूक हो रहे हैं। क्योंकि या तो आप केमिकल फ्री जहर मुक्त मुक्त खाना खा लो या फिर कीटनाशकों और उर्वरकों वाला खाना खाकर बीमार पड़ों और पैसे डॉक्टर और दवाइयों पर खर्च करो।”प्रतिभा के मुताबिक उनके साथ कई राज्यों के किसान जुड़े हैं, वो किसानों को जैविक खेती के लिए सर्टिफिकेशन में भी मदद करती हैं। वो भोपाल में अपनी जैसी सोच वाली कई महिलाओं के साथ मिलकर कई सामाजिक सरोकार वाले काम भी करती हैं।
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6.महाराष्ट्र के लातूर में जब कुछ साल पहले भीषण सूखा पड़ा था। हालात ऐसे हो गए थे कि पीने के लिए पानी ट्रेन से भिजवाया गया था। लातूर में ही एक तालुका है उदगिर यहां कई बार पानी 10-30 दिन में एक बार आता है। कई रिपोर्ट ये कहती थी ऐसे ही हालात रहे तो पानी की कमी के चलते कुछ दिनों में मराठवाडा खासकर लातूर रेगिस्तान, बंजर बन जाएगा। ऐसे में कुछ आम नागरिक पौधे लगाने, जंगल बढ़ाने निकल पड़ी अदिति पाटिल उनमें से एक हैं, जो अपने कारवां के जरिए सीड बॉल बना कर लाखों नए पौधे लगाने की दिशा में काम कर रही हैं।
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