लखनऊ(उत्तर प्रदेश)। जब हम मंदिर या मस्जिद जाते हैं तो फूल जरूर चढ़ाते हैं। कुछ देर बाद उन फूलों को कचरे में फेंक दिया जाता है या फिर नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। ऐसे में चढ़ाये हुए फूलों को इधर-उधर फेंका न जाए इसके लिए केंद्रीय औषधीय और सगंध पौध संस्थान सीमैप ने 10,000 महिलाओं को ट्रेनिंग दी है जो मंदिरों से चढ़ाये गए फूलों का प्रयोग कर नयी चीज़े बना रही हैं।
लखनऊ स्थित केंद्रीय औषधीय और सगंध पौध संस्थान-सीमैप ने लगभग 10,000 महिलाओं को ट्रेनिंग दी है। ये महिलाएं मंदिर में चढ़ाये गए फूलों को एकत्र करके सुखाती हैं। सूखने के बाद फूलों को पीसकर पाउडर बनाने के बाद उससे कई प्रकार की प्राकृतिक, सुगन्धित और पूजा में उपयोग होने वाली वस्तुयें बनाती हैं। मंदिर में चढ़ाये हुए फूल अब इनका कमाई का जरिया बन गए हैं।
शिरडी की रहने वाली रुपाली बताती हैं “मंदिर में चढ़ाये हुए फूलों से मैं अगरबत्ती, धूपबत्ती, हवन कप बनाती हूँ। मेरे इस काम से मंदिर के फूल बर्बाद नहीं होते हैं। हमारे साथ कई महिलाएं जुड़ीं हैं जो इस काम में मेरा साथ देती है। इससे उनकी आय में भी बढ़ोतरी हुई है। हम उज्जैन, शिरडी और नोएडा के मंदिरों से फूल एकत्र करते हैं। इस तरह हम एक महीने में 7 से 8 टन फूलों की प्रोसेसिंग करके उनसे उत्पाद बनाते हैं। आज हमारे उत्पाद उन्हीं मंदिरों में बिक रहे हैं जहाँ से हम फूल उठाते हैं।”
केंद्रीय औषधीय और सगंध पौध संस्थान-CSIR-CIMAP के वैज्ञानिक डॉ रमेश श्रीवास्तव ने न्यूजपोटली से फोन पर बताया सीमैप ने लगभग 10,000 महिलाओं को ट्रेनिंग दी है। ये महिलाएं देश के बड़े मंदिरों में जैसे शिरडी, उज्जैन का महाकाल मंदिर समेत कई अन्य बड़े मंदिरों से चढ़ाये हुई फूल लेकर उनकी प्रोसेसिंग करके अगरबत्ती, सांभरनी कप समेत कई अन्य उत्पाद बना रही हैं। इससे महिलाओं की आय में बढ़ोतरी हुई है। संस्थान ने जो भी टेक्नोलॉजी विकसित की है उससे फूलों से उत्पाद बनाने वाली महिलाओं को काफी मदद मिली है।”
गुरुग्राम की रहने वाली मनीषा बताती हैं “मैं मंदिरों पर चढ़ाये हुए फूलों को इकट्ठा करके उनसे अगरबत्ती, धूपबत्ती और सुगंध सम्बंधित उत्पाद बनाती हूँ। मेरे यहाँ अभी शहर के आठ से नौ मंदिरों से फूल आते हैं। मंदिर से फूलों को लाकर उनकी छटाई करते उसके बाद उन्हें सूखने के लिए धूप में डाल देते। सूखने के बाद उसका पाउडर बनाया जाता है। फिर उसमे हर्बल चीज़ें मिलाकर उससे उत्पाद बना लेते हैं। मैं पिछले 6 महीनो से यह कार्य कर रही हूँ। मेरे साथ आठ महिलाएं भी जुडी हैं जिनकी जीविका इस काम से चल रही है।
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