बीते गुरुवार को देश के कृषि मंत्री ने कुछ छोटे लेकिन जरूरी ऐलान किए थे. जैसे पहला ऐलान ये कि उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया की केंद्र सरकार उनकी तुर, उरद और मसूर की पूरी फसलें अपने ई पोर्टल ई समृद्धि के जरिए खरीदेगी. कृषि मंत्री ने कहा कि ये फैसला इसलिए लिया गया है ताकि आने वाले दिनों में भारत दाल उत्पादों के मामले में आत्मनिर्भर बन सके. उनके इस ऐलान के अगले ही दिन देश में कृषि उत्पादों से जुड़े कुछ आँकड़े आए, जो अच्छी खबर तो नहीं ही कहे जाएंगे.
देश में एक संस्था है NSO. पूरा नाम National Statistical Organization. हिन्दी में कहते हैं – राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन. बीते शुक्रवार को इसी संस्था ने देश में एग्रीकल्चर की प्रोडक्ट्स की स्थिति को लेकर आँकड़े जारी किए. चौंकाने वाली बात ये है कि इस बार पशुओं से मिलने वाले उत्पाद, मछली उत्पादन और जलीय उत्पादों में तो वृद्धि हुई है लेकिन फसलों के उत्पादन में 8 प्रतिशत की गिरावट आई है. ऐग्रीकल्चर को हम ज्यादातर फसलों से ही जोड़ के खत्म कर देते हैं लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि इसी खांचे में पशुपालन से मिलने वाले उत्पाद भी शामिल होते हैं जिनमें उछाल आया है. हालांकि ये अलग बात है कि अब भी देश के कृषि से जुड़े हुए उत्पादनों में फसलों की ही हिस्सेदारी ज्यादा है.
NSO ने ये रिपोर्ट पिछले दस सालों के कृषि उत्पादन के आधार पर बनाई है. और इसी रिपोर्ट के अनुसार 2011 -12 और 2022-23 के बीच पशु उत्पाद में 25.6 परसेंट की वृद्धि तो दूसरी ओर मछली उत्पादन और जलीय उत्पादों की वृद्धि 4.2% से बढ़कर 6.9% हो गई है.
ध्यान देने योग्य बात ये हैं फसल उत्पादन जिसमें कमी देखी गई है, उसपर सरकारों का कंट्रोल ज्यादा माना जाता है जबकि मछली उत्पादन हो या हलीय उत्पाद इसमें सरकारी हस्तक्षेप होने के बावजूद वृद्धि दर्ज की गई है. फसलो में भी अलग-अलग फसलों के आंकड़ों में अंतर है. अनाज उत्पादन में एक परसेंट की गिरावट है तो फलों और सब्जियों के उत्पादन में 4% की वृद्धि हुई है.
2022-23 में पशुओं से मिलने वाले उत्पादों की हिस्सेदारियों में दूध सबसे ज्यादा 66.5% हिस्सा बांटता है, दूसरे नंबर पर आता है मांस जिसका हिस्सा 23.6 परसेंट और अंडे का सबसे कम है केवल 3.7 पर्सेंट है. साल 2011-12 में ये आँकड़े अलग थे. जिसमें दूध के पास 62.4 परसेंट हिस्सा, मीट यानी मांस का 19.7 परसेंट और अंडे का हिस्सा 3.4 परसेंट था. रिपोर्ट कहती है कि यूपी ने अनाज उत्पादन के मामले में सारे प्रदेशों को पीछे छोड़ दिया है और दूसरी ओर मध्य प्रदेश ने दाल उत्पादन में बाजी मारी है.
इन आंकड़ों के इतर एक और बात जो आपको जानने की जरूरत है. वो ये कि जब फसल उत्पादन में गिरावट के आँकड़े ये हैं उससे कुछ ही दिन पहले केंद्र सरकारों और कई राज्य सरकारों ने चने, तुर और काबुली चने के भंडारण पर 30 सितंबर तक की रोक लगाई है.
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