28 दिनों में केवल 840 किसानों से खरीदा गया 5137 टन मक्का.. तय लक्ष्य से बहुत कम, आखिर क्या है वजह?

मक्के

यूपी में बीते 28 दिनों में केवल 840 किसानों से 5137 टन ही मक्के की सरकारी खरीद हो पायी है, जबकि सरकार का लक्ष्य 25 हज़ार टन मक्का ख़रीदने का है. इसकी बड़ी वजह सरकार द्वारा तय मानकों और बारिश को बताया जा रहा है.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में मक्के की सरकारी खरीद जारी है. मक्का की सरकारी खरीद 15 जून से शुरू हुई है जो 31 जुलाई तक चलेगी. रिपोर्ट के मुताबिक 15 जून से अब तक 840 किसानों से 5137 टन मक्का ख़रीदा जा सका है. आपको बता दें कि मक्के की सरकारी खरीद के लिए कुल 150 क्रय केंद्र खोले जाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन अब तक इसे पूरा नहीं कर पाया है. शुरुआती आठ दिनों में 120 केंद्रों का संचालन शुरू हो पाया था और वर्तमान में 133 केंद्र संचालित है. 

2225 रुपये प्रति क्विंटल है MSP
सरकारी खरीद में तेजी नहीं आने की बड़ी वजह खरीद मानक बताए जा रहे हैं. मानकों के मुताबिक गीली या 14 प्रतिशत से अधिक नमी वाली खरीदी नहीं जाती है. मानसून के कारण अपनी उपज को सुखाना भी मुश्किल हो रहा है. ख़रीद के अन्य मानक भी किसानों की रुचि को कम कर रहे हैं. सरकार ने मक्के का 2225 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी तय किया है और खुले बाज़ार में रेट इससे कम है. लेकिन ख़रीद के मानक और बारिश इसमें बाधा बने हुए हैं. इसीलिए किसान खुले बाज़ार में उपज बेचने को मजबूर हैं. 

ये भी पढ़ें – राज्य में यूरिया और डीएपी की कोई कमी नहीं, यूपी के मुख्य सचिव मनोज कुमार ने स्कूल विलय पर ये कहा

इन जिलों में हो रही है खरीदी
क्रय नीति के मुताबिक सरकारी खरीद केवल 22 जिलों में अलीगढ़, एटा, कासगंज, फिरोजाबाद, हाथरस, मैनपुरी, बदायूँ, बुलंदशहर, इटावा, हरदोई, उन्नाव, कानपुर नगर, औरैया, कन्नौज, फ़रूख़ाबाद, बहराइच, बलिया, अयोध्या, मिर्जापुर, गोंडा, संभल, और रामपुर में की जा रही है. ख़रीद की शुरूआत के समय बाज़ार में मक्का का रेट लगभग 1500 रुपये प्रति क्विंटल था लेकिन फिलहाल यह 1900 से 2200 रुपये तक है. इसके बावजूद मानकों के कारण किसान सरकारी खरीद पर अपनी उपज नहीं बेच पा रहे हैं.

खरीद लक्ष्य से बहुत पीछे
मानकों के मुताबिक मक्का का दाना सूखा हुआ होना चाहिए, नमी मात्र 14 प्रतिशत  से अधिक नहीं होनी चाहिए. दानों का आकार, रंग और आकृति एक समान होनी चाहिए. इतना ही नहीं उपज में अन्य अनाज की मात्र दो प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए और ख़राब अनाज की मात्र डेढ़ प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए. ऐसी स्तिथि में किसानों को मक्का सूखाने से लेकर उसका अच्छी तरह से छिनाई बिनयी करनी पड़ रही है. वहीं बाज़ार में रेट भले ही कम है लेकिन मानक में इतनी बाधा नहीं है. इसी कारण सरकारी खरीद धीमी चल रही है और 25 हज़ार टन मक्का की खरीद का लक्ष्य भी पूरा हो पाना मुश्किल लग रहा है. 

ये देखें –

Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *