भारत में बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती की जाती है. लेकिन ज्यादातर किसानों की प्रति एकड़ उपज काफी कम है. गन्ना कमाई वाली ठोस फसल है लेकिन जरुरी है कि अच्छी पैदावार मिले. ऐसे में किसानों को ये जानना ज़रूरी है कि बेहतर उपज के लिए क्या करना चाहिए. जानिए गन्ने की खेती की “4 इन 1 टेक्नोलॉजी” की चार जरूरी बातें, जो गन्ने की बेहतर उपज, पानी की बचत, न्यूट्रिशन और फसल सुरक्षा में मदद करते हैं.
1. फ्वारा सिंचाई ( Sprinkler Irrigation)
यह सूक्ष्म सिंचाई तकनीक है, जिसमें छोटे-छोटे स्प्रिंकलर का उपयोग किया जाता है. इससे पानी की 50-60% तक बचत होती है और पौधों की जड़ों तक समान रूप से नमी पहुंचती है. यह विधि ड्रिप सिंचाई से भी अधिक प्रभावी हो सकती है, क्योंकि यह पूरे पौधे को नमी प्रदान करती है और पत्तियों को भी ठंडा रखती है, जिससे फसल की जल-तनाव सहन करने की क्षमता बढ़ती है.
2. क्रॉप प्रोटेक्शन (Crop Protection)
इसमें गन्ने की फसल को कीटों, बीमारियों और खरपतवारों से बचाने के लिए जैविक या रासायनिक तरीकों को अपनाया जाता है. ये फसल सुरक्षा प्रणाली कीटनाशकों (Pesticides), जैविक नियंत्रण (Biological Control) और एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) पर आधारित होती है.
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3. फोलियर पोषण (Foliar Nutrition)
इसमें गन्ने की पत्तियों पर सीधे पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाता है. ये तरीका पौधों को आवश्यक नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P), पोटाश (K), जिंक, सल्फर और सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति करता है. फायदे: o फसल जल्दी बढ़ती है और चीनी की मात्रा (Sucrose Content) बढ़ती है. मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी होने पर भी पौधे को आवश्यक पोषण मिलता है. गन्ने का उत्पादन 10-15% तक बढ़ सकता है.
4. क्रॉप कूलिंग (Crop Cooling)
ये एक जरूरी प्रक्रिया है, जिसमें उच्च तापमान के दौरान गन्ने की फसल को ओवरहीटिंग और हीट स्ट्रेस से बचाने के लिए ठंडा किया जाता है. तुषार सिंचन (Sprinkler Irrigation) का उपयोग करके गर्मी में फसल के तापमान को 2-4°C तक कम किया जा सकता है. इससे पत्तियों की नमी बरकरार रहती है, जिससे प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की प्रक्रिया बेहतर होती है और उपज में सुधार आता है. ये तकनीक खासकर गर्म इलाकों में बहुत फायदेमंद है, जहां मई-जून में तापमान 40°C से ज्यादा हो जाता है.
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गन्ने की खेती की 4 इन 1 टेक्नोलॉजी के बहुत फायदे हैं जैसे
✅ बेहतर उत्पादन: गन्ने की उपज 20-30% तक बढ़ सकती है.
✅ कम लागत: उर्वरकों और कीटनाशकों की कम खपत.
✅ पानी की बचत: तुषार सिंचन से 50% तक पानी की बचत होती है.
✅ बेहतर क्वालिटी: चीनी की मात्रा बढ़ती है और फसल की ग्रोथ अच्छी होती है.
✅ जलवायु अनुकूलता: ये तकनीक गर्मी और सूखे से फसल को बचाती है.
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।