मनमोहन सिंह ने अपने पत्र में किसानों के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को क्या कुछ कहा, इसके साथ ही दिनभर की और महत्वपूर्ण खबरें भी पढ़ें

दिनभर की खेती किसानी से जुड़ी खबरों की न्यूज पोटली में आपका स्वागत है। चलिए देखते हैं आज की पोटली में किसानों के लिए क्या क्या नया है।

 

1. भारत के भंडार को भरने और कुछ राज्यों में खराब फसल के कारण बढ़ती कीमतों को स्थिर करने के लिए छह साल के बाद सरकार गेहूं का आयात फिर से शुरू करने की तैयारी में है।
लगातार दो सालों से गेहूं की फसल के कम उत्पादन का असर देश के भंडारण पर पड़ने लगा है। सरकार ने गेहूं की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए इसे आयात करने का फैसला किया है। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार चुनाव के बाद 40% आयात कर को ख़त्म कर देगी, जिससे निजी व्यापारियों को शीर्ष निर्यातक रूस से सामान खरीदने की अनुमति मिल जाएगी। बाजार में गेहूं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने और आगे कीमतों में बढ़ोतरी से बचने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण बताया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि भारत छह साल के अंतराल के बाद गेहूं का आयात शुरू करने के लिए तैयार है, ताकि घटते भंडार की भरपाई की जा सके और तीन साल की निराशाजनक फसल के बाद बढ़ी कीमतों को नियंत्रित किया जा सके।

2. मनमोहन सिंह ने अपने पत्र में किसानों के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को घेरा और कहा कि मोदी जी ने किसानों से दोगुनी आय का वादा किया था जबकि 10 साल में किसानों की आय घट गई है।
मनमोहन सिंह ने अपने पत्र में मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले दस साल में भाजपा सरकार ने पंजाब और पंजाबियत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 750 किसान दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक इंतजार करते हुए शहीद हो गए, इनमें ज्यादातर किसान पंजाब से थे।किसानों पर लाठियाँ और रबर की गोलियां पर्याप्त नहीं थीं तो संसद में उन्हें आंदोलनजीवी” और “परजीवी” बोला गया। उनकी एकमात्र मांग उनसे परामर्श के बिना उन पर थोपे गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की थी। उन्होंने आगे पत्र में लिखा कि मोदी जी किसानों से दोगुनी आय का वादा किये थे जबकि 10 साल में किसानों की आय घट गई है।

फोटो साभार:TOI

3. भारत 2024-25 सीजन में गन्ने की अंतिम बुआई और उत्पादन का आकलन करने के बाद ही चीनी निर्यात के बारे में सोच सकता है, क्योंकि ब्राजील के बाद दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक भारत को अगले सीजन में कम चीनी उत्पादन की उम्मीद है।

भारत गन्ने की बुआई और उत्पादन के अंतिम मूल्यांकन तक 2024-25 सीज़न के लिए चीनी निर्यात की अनुमति देने पर विचार कर सकता है। देश में पिछले साल के 32.8 मिलियन टन की तुलना में इस साल 30 मिलियन टन चीनी उत्पादन का अनुमान है।जो की पिछले साल से कम है।तमिलनाडु और कर्नाटक में मिलें चालू सीजन की पेराई समाप्ति के करीब पहुंच गई हैं इसलिए उत्पादन सितंबर तक (31.8 मिलियन टन) पहुंचने की उम्मीद है। चुकी सरकार घरेलू खपत और इथेनॉल उत्पादन के लिए स्टॉक उपलब्धता को प्राथमिकता दे रही है। इसलिए निर्यात पर विचार करना ज़रूरी हो जाता है।

 

 

 

और अब किसानों से लिए सबसे उपयोगी मौसम की जानाकरी

 

4. मौसम अपडेट

IMD के अनुसार अगले 7 दिनों तक अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में गरज, बिजली और तेज़ हवाओं (30-40 किमी प्रति घंटे) के साथ कई जगह हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है।
मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वानुमान की मानें तो आज 30 मई, गुरुवार से देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी और लू से थोड़ी राहत मिल सकती है।

मौसम विभाग ने यह भी बताया है कि केरल में मॉनसून के आने की सभी परिस्थितियां अनुकूल हैं और गुरुवार को इसका आगमन हो सकता है और मॉनसून उत्तर पूर्वी राज्यों की ओर बढ़ भी सकता है।


और आखिर में न्यूज पोटली की ज्ञान पोटली

 

5. आज, 30 मई को International Potato Day है।

आलू एक ऐसा खाद्य वस्तु है जिसे हर वर्ग के लोग खाते हैं।इसमें पोटैशियम, विटामिन सी और विटामिन बी9 जैसे पोषक तत्व पाए जाते है, इसीलिए इसे खाद्य सुरक्षा को प्राप्त करने और कुपोषण को कम करने में सहयोगी माना जाता है।अरबों लोगों द्वारा खाया जाने वाला आलू, टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने और आर्थिक अवसरों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है।इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय आलू दिवस का विषय है – हार्वेस्टिंग डायवर्सिटी, फीडिंग होप।

आलू ग्रामीण और अन्य क्षेत्रों में पौष्टिक भोजन और बेहतर आजीविका प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जहां पर प्राकृतिक संसाधन, विशेष रूप से कृषि योग्य भूमि और पानी सीमित हैं और खेती के लागत मूल्य महँगे हैं, वहाँ पर आलू की खेती आसानी से हो जाती है। इसकी फसल विभिन्न परिस्थितियों में बढ़ने की क्षमता रखता है इसलिए ये एक लाभप्रद फसल विकल्प माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर लिखा है, ”आलू एक जलवायु-अनुकूल फसल भी है, क्योंकि यह अन्य फसलों की तुलना में कम स्तर का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पैदा करता है।”

खेती किसानी की रोचक जानकारी और जरुरी मुद्दों, नई तकनीक, नई मशीनों की जानकारी के लिए देखते रहिए न्यूज पोटली।

ये भी देखें –

 

Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *