तुअर की ख़रीद

आंध्र प्रदेश, गुजरात समेत प्रमुख राज्यों में तुअर की खरीद शुरू, सरकार 100% तुअर, उड़द और मसूर की खरीद करेगी

केंद्र सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर तुअर (अरहर) की खरीद शुरू कर दी है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक़ 11 मार्च तक आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना सहित प्रमुख उत्पादक राज्यों में कुल 1.31 लाख मीट्रिक टन तुअर की खरीद की गई है, जिससे इन राज्यों के 89,219 किसानों को लाभ मिला है. तुअर की खरीद नैफेड के ई-समृद्धि पोर्टल और एनसीसीएफ के संयुक्ति पोर्टल पर पहले से रजिस्टर्ड किसानों से भी की जाती है. केंद्रीय नोडल एजेंसियों नैफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से किसानों से 100 प्रतिशत तुअर खरीदने के लिए कमिटेड है.

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सहकारी चीनी मिलों

गन्ना आधारित प्लांट को बहु-फ़ीड आधारित इथेनॉल प्लांट में बदला जाएगा, बढ़ेगा इथेनॉल का उत्पादन

देश में सहकारी चीनी मिलों में गन्ने पर चलने वाला इथेनॉल प्लांट केवल गन्ने के सीजन में ही चलता है और बाकी सीजन में बंद रहता है। सरकार ने इन सहकारी मिलों के गन्ना इथेनॉल प्लांट को मल्टी फीड प्लांट में बदलने के लिए कहा है ताकि हर सीजन में मक्का आदि से इथेनॉल बनाने का काम चलता रहे। इसके लिए सरकार गन्ना आधारित इथेनॉल प्लांट को मल्टी फीड प्लांट में बदलने के लिए लोन पर ब्याज की छूट भी दे रही है। इससे चीनी मिलों को भी फ़ायदा होगा और साथ ही इथेनॉल उत्पादन भी बढ़ेगा।

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अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार के बीच SOPA ने सरकार से सोयाबीन पर मौजूदा इंपोर्ट ड्यूटी बनाए रखने का किया आग्रह

सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया(SOPA) ने सरकार से भारत-अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता के दौरान भारतीय सोयाबीन उद्योग के हितों की रक्षा करने का अनुरोध किया है। उन्होंने सोयाबीन उत्पादों पर मौजूदा आयात शुल्क को बनाए रखने और वैल्यू एडेड सोया उत्पादों के लिए रियायती शुल्क व्यवस्था की संभावना तलाशने का सुझाव दिया है। इसके अलावा SOPA ने केंद्र से भारत से ऑर्गेनिक सोयाबीन भोजन के आयात पर अमेरिका की ओर से लगाए गए 283.91 परसेंट के भारी शुल्क को कम करने में दखल देने का भी आग्रह किया, जिसने भारतीय निर्यातकों को गंभीर रूप से परेशान किया है।

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मार्च-अप्रैल के महीने में गन्ने की बुवाई

मार्च-अप्रैल के महीने में गन्ने की बुवाई करने वाले किसानों के लिए ज़रूरी Tips

देश के किसान इन दिनों गेहूं की कटाई और बसंतकालीन गन्ने की बुवाई में व्यस्त हैं। बसंतकालीन गन्ने की बुवाई के लिए मार्च महीना सबसे सही माना जाता है। बदलते जलवायु में भी कुछ किसान पारंपरिक विधि से ही गन्ने की बुवाई करते हैं, जिससे उनको सही उत्पादन नहीं मिलता है। लेकिन अगर किसान वैज्ञानिक द्वारा बताये हुए विधि से गन्ने की बुवाई करें तो कम लागत में अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक बरसाती लाल के मुताबिक़ मार्च का महीना गन्ने की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।

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डेयरी क्षेत्र

सरकार अगले पांच वर्षों में देश भर में 75,000 नई डेयरी सहकारी समितियां बनाएगी

डेयरी क्षेत्र कृषि अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है। पशुधन उप-क्षेत्र से उत्पादन के मूल्य में दूध और दूध उत्पादों का बड़ा हिस्सा होता है। दूध उत्पादन का मूल्य 2022-23 में खाद्यान्न उत्पादन के कुल मूल्य को पार करते हुए 11.16 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह जानकारी केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने 12 मार्च, 2025 को राज्यसभा में दी है।

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मध्‍य प्रदेश के उप मुख्‍यमंत्री और वित्‍तमंत्री जगदीश देवड़ा

MP Budget 2025-26: किसानों को क्या मिला?

मध्‍य प्रदेश के उप मुख्‍यमंत्री और वित्‍तमंत्री जगदीश देवड़ा ने आज विधानसभा में वर्ष 2025-26 के लिए राज्‍य का बजट पेश किया. इस दौरान उन्‍होंने कृषि क्षेत्र को लेकर किए गए कई प्रावधान की जानकारी दी. वित्‍त मंत्री ने कहा‍ कि सरकार किसानों की इनकम बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. इस बजट से किसानों को आर्थिक सहायता, बीमा सुरक्षा और सौर ऊर्जा जैसी योजनाओं का फायदा मिलेगा. आइये जानते हैं इस बजट में प्रदेश के किसानों के लिए क्या ख़ास है.

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कुल 2900 जलवायु-अनुकूल उच्च उपज वाली फसलें विकसित की गई

पिछले दस वर्षों में कुल 2900 जलवायु-अनुकूल उच्च उपज वाली फसलें विकसित की गईं : सरकार

2014-2024 के दौरान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के देख रेख में आईसीएआर संस्थानों और राज्य/केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों (सीएयू/एसएयू) सहित राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) ने 2900 स्थान विशिष्ट उन्नत फसल किस्में/संकर विकसित की हैं, जिनमें अनाज की 1380, तिलहन की 412, दलहन की 437, फाइबर फसलों की 376, चारा फसलों की 178, गन्ने की 88 और अन्य फसलों की 29 शामिल हैं।

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भारत की जैविक उत्पाद

APEDA ने अमेरिका में ‘नेचुरल प्रोडक्ट्स एक्सपो वेस्ट 2025’ में भारत के जैविक उत्पादों का प्रदर्शन किया

APEDA ने 4 से 7 मार्च, 2025 तक अमेरिका के कैलिफोर्निया शहर में आयोजित ‘नेचुरल प्रोडक्ट्स एक्सपो वेस्ट 2025’ में भारत की समृद्ध कृषि विरासत और बढ़ते जैविक क्षेत्र को प्रदर्शित किया। जैविक बाजार में भारत की वैश्विक पहचान  बढ़ाने के लिए, APEDA ने चावल, तिलहन, जड़ी-बूटियाँ, मसाले, दालें, मेवे, अदरक, हल्दी, बड़ी इलायची, दालचीनी, आम प्यूरी और आवश्यक तेलों सहित जैविक उत्पादों की विविध श्रेणी का प्रतिनिधित्व करने वाले 13 प्रमुख भारतीय निर्यातकों के  इसमें  भाग लेने की सराहना की। इस प्रदर्शनी में भारत ने अपनी कृषि शक्ति तथा स्थिरता, गुणवत्ता और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

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जलवायु परिवर्तन

धान की जगह इन फसलों की खेती से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई आसान होगी: अध्ययन

बदलते जलवायु में किसान अगर धान (चावल) की खेती की जगह बाजरा, मक्का, रागी और ज्वार जैसे अनाजों की खेती करें तो उन्हें ज़्यादा मुनाफ़ा मिल सकता है। इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद के रिसचर्स की एक टीम ने अपनी स्‍टडी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि किसान अगर इन फसलों की खेती करें तो जलवायु से जुड़े उत्पादन घाटे को 11 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

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चीनी उत्पादन

गन्ने की सप्लाई कम होने के कारण भारतीय चीनी उत्पादन खपत से कम होने की उम्मीद

प्रमुख राज्यों में गन्ने की आपूर्ति में कमी के कारण 2024/25 विपणन वर्ष के लिए भारत का चीनी उत्पादन आठ वर्षों में पहली बार खपत से कम रहने का अनुमान है। उत्पादन घटकर 25.8 मिलियन मीट्रिक टन रहने की उम्मीद है, जबकि खपत 29 मिलियन टन रहने का अनुमान है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट…

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