चीकू की खेती- हर पौधे से 5000 की कमाई, साल में 3 बार आती है फसल 

“हमारे यहां गर्मी में तापमान 42 से 46 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है और इस फसल को पकने के लिए गर्मी का मौसम चाहिए तो मैनें रिस्क लेके 12 साल पहले पौधा लगा दिया”

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चाय के बागानों का कड़वा घूंट कौन पीता है?

230 रुपये दिन की दिहाडी है चाय के बागानों में काम करने वाले मजदूरों की।सरकार और बागान मालिक मिलकर इन श्रमिकों के लिए योजनाओं के तहत काम
भी करते हैं फिर भी मजदूर वर्ग है ना-खुश। न्यूज पोटली को इसके पीछे के तीन कारण मिलें पहली नेपाल, दूसरी जलवायु परिवर्तन और तीसरी पैदावार और क्वालिटी के मुताबिक रुपये नहीं मिल पाना।

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अपोलो और गोदरेज जैसी बड़ी कम्पनियां उन्नति कॉपरेटिव से खरीदती हैं जैविक और आयुर्वेदिक प्रोडक्ट

उन्नति से जुड़े 400 से ज्यादा लोग हिमालय की शिवालिक पहाडियों से वन संपद्दा, जड़ी बूटियां और औषधियां आप तक पहुंचाते हैं। उन्नति के पास 32 हजार एकड़ का जैविक सर्टिफाइड जंगल है

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कांच की बोतल या पैकट में आने वाला दूध कैसे होता है पैक और पाश्चराइज्ड

एक साथ 40 गायों का दूध नहीं निकाला जा सकता हैं 500 गायों के दूध निकालने में लगभग 2 से ढ़ाई घण्टे लगते हैं। दूध की लाइफ बढ़ाने के लिए किया जाता दूध पाश्चुराइज, सूक्ष्म वैक्टीरिया मर जाते है और दूध को जल्दी खट्टा या फटने से बचाया जा सकता है।

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किसान कीटनाशक के बजाय आईपीएम में करें इन्वेस्ट, लागत में आएगी कमी

फसल में कीट-पंतगों के अटैक से फसल बर्बाद हो रही, उसे रोकने के लिए किसान बाजार से तरह तरह के कीटनाशक का छिड़काव करता रहता हैं। इन सब से किसान की लागत में भी बढ़ोत्तरी आ रही है। किसान कीटनाशक के बजाय IPM पर इन्वेस्ट करे तो अपनी लागत में कमी ला सकता है।

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सोशल अल्फा: विज्ञान और तकनीकी के जरिए किसानों की समस्याओं को हल करने की कवायद

सोशल अल्फा एक इनोवेशन क्यूरेशन और वेंचर डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म है। जो किसान उपयोगी और कृषि क्षेत्र में कार्यरत स्टार्टअप को न सिर्फ आगे बढ़ाता है बल्कि उन्हें किसानों से जोड़ने का काम करता है। लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। किसान के सामने बीज बुवाई से लेकर फसल तैयार करने और उसे मार्केट में बेचने तक, हर स्तर…

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no electricity in 6 village of jhansi

बुंदेलखंड: “सरकार ने बिजली दी नहीं और मिट्टी का तेल भी बंद कर दिया” 

भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है और कुसुमा अपने अंधेरे घर में डीजल का दिया जलाकर उजाला तलाश रही हैं। जबसे वो ब्याह कर इस घर में आई हैं यही उनका रोज काम काम है। सिर्फ कुसुमा ही नहीं उनके गांव के तमाम घरों में लगभग ऐसा ही होती है। वो बताती…

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