देश के सबसे बड़े कपास उत्पादक राज्य गुजरात में कपास की बुआई में लगभग 13 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट आई है। रिपोर्ट के अनुसार, इस गिरावट का मुख्य कारण कुछ किसानों का मूंगफली और सोयाबीन जैसी अन्य फसलों की ओर रुख करना है।
गुजरात में कपास की खेती से जुड़े आंकड़ों पर नज़र डालें तो 4 अगस्त तक 20.35 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई पूरी हो चुकी है। वहीं, पिछले खरीफ सीजन में इसी समय तक कपास का रकबा 23.35 लाख हेक्टेयर था। बता दें कि गुजरात में कपास का सामान्य रकबा 25.34 लाख हेक्टेयर है।
कपास की बुवाई के मामले में कर्नाटक, तेलंगाना समेत दूसरे राज्यों का हाल अच्छा है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ें बताते हैं कि 1 अगस्त तक देशभर में कपास का कुल रकबा 105.87 लाख हेक्टेयर था। वहीं, बीते साल इसी समय रकबे का आंकड़ा 108.43 लाख हेक्टेयर था।
ये है वजह
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात के किसानों ने कपास से मूंगफली की ओर रुख किया है। इस बदले रुख का कारण है कि किसानों को मूंगफली अधिक लाभ देने वाली फसल लगती है। बता दें कि एमएसपी में बढ़ोतरी और कम समय में पककर तैयार होने की काबिलियत ने भी किसानों का ध्यान मूंगफली की और खींचा है। इसके अलावा कपास की कटाई में किसानों को मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ता है। इन सभी कारकों ने किसानों के रुख में बदलाव लाने का काम किया है।
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इन राज्यों में इतनी हुई बुवाई
कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र समेत दूसरे राज्यों में कपास का रकबा बढ़ा है। समय पर बारिश के कारण फसल का हाल अच्छा है। कर्नाटक में कपास का रकबा 7.5 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो पिछले साल की समान अवधि के 6.4 लाख हेक्टेयर था।तेलंगाना में 30 जुलाई तक कपास का रकबा 40.66 लाख एकड़ से बढ़कर 43.28 लाख एकड़ हो गया है। लेकिन, ध्यान देने वाली बात है कि तेलंगाना का रकबा सामान्य कपास के रकबे – 48.93 लाख एकड़ से अभी भी कम है। वहीं महाराष्ट्र में 28 जुलाई तक कपास की बुवाई लगभग 38.01 लाख हेक्टेयर में पूरी कर ली गई है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।