रिपोर्ट के मुताबिक़ फेस्टिव सीजन से पहले चना दाल की कीमतों में 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। देश में सबसे अधिक खपत वाली दाल की मांग में बढ़ोत्तरी के चलते पिछले महीने की तुलना में चना दाल की कीमतों में 10 फीसदी की तेजी आई है।
देश में लगातार महंगाई बढ़ती जा रही है ख़ासकर खाद्य महंगाई। पिछले एक साल से दालों की महंगाई दर दोहरे अंक में बना हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार जून में दालों की महंगाई दर 21 फीसदी के पार पहुंच गई।और अभी फेस्टिवल शुरू होने को हैं और अभी से चना दाल की कीमत में 10 फीसदी का उछाल देखने को मिल रहा है। फेस्टिवल शुरू होने पर हो सकता इसका दाम और बढ़े क्योंकि लड्डू, पपड़ी, सेव और कई मिठाइयों और नमकीन जैसी खाद्य आइटम्स में चना दाल का इस्तेमाल किया जाता है।
इकोनॉमिक टाइम्स के रिपोर्ट के अनुसार फेस्टिव सीजन से पहले चना दाल की कीमतों में 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। देश में सबसे अधिक खपत वाली दाल की मांग में बढ़ोत्तरी के चलते पिछले महीने की तुलना में चना दाल की कीमतों में 10 फीसदी की तेजी आई है। खुदरा बाजार में चना दाल 80 रुपये प्रति किलो तक में बिक रहा है। जबकि केंद्र सरकार महंगी दाल से राहत देने के लिए NAFED के जरिए 60 रुपये प्रति किलो की कीमत पर दाल की बिक्री कर रही है।
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दालों की महंगाई दर में लगातार बढ़ोत्तरी
सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार जून 2024 में दालों की महंगाई दर 21.64 फीसदी दर्ज की गई। इससे पहले अप्रैल महीने में दालों की औसत खुदरा महंगाई दर 16.8 फीसदी थी और उससे पहले मई में 17.14 फीसदी दर्ज की गई थी। अप्रैल में सबसे ज्यादा 31.4 फीसदी महंगाई दर अरहर दाल में थी।इसी तरह चना दाल में 14.6 फीसदी और उड़द दाल में 14.3 फीसदी की दर से महंगाई थी।
चना दाल से बनती हैं कई मिठाइयाँ
चना दाल की कीमतों में उछाल का कारण फेस्टिव सीजन को देखते हुए खपत में बढ़ोत्तरी है। चना दाल का उपयोग लड्डू, पपड़ी, सेव और कई मिठाइयों और नमकीन जैसी खाद्य आइटम्स को बनाने किया जाता है। फेस्टिवल्स को देखते हुए कारोबारियों ने चना की थोक खरीद बढ़ा दी है। आंकड़ों के अनुसार डिमांड जितना प्रोडक्शन ना होने की वजह से दालों की महंगाई 1 साल से दोहरे अंक में बनी हुई है।फसल वर्ष 2022-23 में देश में दालों का अनुमानित उत्पादन 26.05 मिलियन टन था, जबकि खपत का अनुमान 28 मिलियन टन था। फिलहाल बाजार में अरहर, चना, उड़द दालों के दाम सबसे ज्यादा हैं।
चना दाल का आयात
रिपोर्ट के मुताबिक़ इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने कहा कि पीली मटर के बड़े पैमाने पर आयात ने चना की मांग को उम्मीद के अनुसार कम करने में मदद नहीं की है। भारतीय दलहन और अनाज संघ (आईपीजीए)की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाई डॉमेस्टिक कीमतों ने चने के आयात पर दबाव बढ़ाया है। इसलिए विदेशी आपूर्ति में बढ़ोत्तरी की उम्मीद है, ताकि कीमतों में संभावित उछाल को रोका जा सके।
देश में दाल की मांग ज़्यादा है और प्रोडक्शन कम है। लोगों की मांग को पूरा करने के लिए सरकार दूसरे देशों से इंपोर्ट करती है। पर फिर भी इसकी क़ीमतों में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। इसीलिए केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों से दाल उत्पादन को बढ़ाने का आग्रह किया है। और किसानों को इसकी खेती में प्रोत्साहित करने के लिए पूरी दलहन फसलों को MSP पर ख़रीदने का वादा भी किया है।इससे देश में दलहन की मांग को पूरा किया जा सकेगा और इन दलों की क़ीमतों में ज़्यादा वृद्धि भी नहीं होगी साथ ही किसानों की आय बढ़ेगी।
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