गुजरात । बागवानी में अनार की खेती को एक मजबूत कमाई का जरिया माना जाता है। इसकी लागत थोड़ी ज्यादा है, लेकिन मुनाफा भी मोटा मिलता है। गुजरात के जयदीप सिंह अश्वर अनार की खेती करते हैं। पिछले साल जयदीप ने 10 एकड़ अनार की खेती से 90 लाख रुपये की कमाई की है। जयदीप के मुताबिक अगर बाजार में सही दाम मिले, तो मुनाफा और भी बढ़ सकता है।
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जयदीप सिंह अश्वर गुजरात के सुरेन्द्रनगर में रहते हैं। गुजरात में अधिकतर किसान मूंगफली और कपास की खेती करते हैं, लेकिन जयदीप ने अनार की खेती में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया। उनके पास कुल 35 एकड़ जमीन है, जिसमें 25 एकड़ में वो पारंपरिक खेती करते हैं। उन्होंने 10 एकड़ में अनार की खेती शुरू की जिससे उन्हें पारंपरिक खेती से अधिक मुनाफा हुआ।

खर्च और आदनी
जयदीप ने न्यूज पोटली को बताया कि एक एकड़ में अनार की खेती पर लगभग 60 हजार रुपये की लागत आती है। लागत निकालने के बाद प्रति एकड़ 3 से 3.5 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा होता है। न्यूनतम 1.5 लाख रुपये तक का मुनाफा होती है, लेकिन अगर उत्पादन अच्छा हो और रेट अच्छा मिलें, तो किसान मालामाल हो सकता है। पारंपरिक खेती में आमदनी निश्चित होती है, जबकि बागवानी में आमदनी तय नहीं होती। कभी-कभी अच्छा बाजार भाव मिलने पर बड़ा मुनाफा भी हो जाता है।
कैसे करें अनार की बागवानी?
पौधा लगाने के दो साल बाद ही फसल लेना चाहिए। इन दो सालों में लगभग 1 लाख रुपये की लागत आती है। अनार की खेती में मुनाफे का कोई तय गणित नहीं होता क्योंकि अनार को स्टोर नहीं किया जा सकता। जो भी बाजार भाव मिले, उसी पर बेचना पड़ता है। पौधों के चयन को लेकर जयदीप कहते हैं कि बूटी पौधा नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि इसका मदर प्लांट अलग-अलग होता है, और पौधे खराब हो जाते है। टिशु कल्चर के पौधे बेहतर होते हैं, क्योंकि वो एक ही मदर प्लांट से आते हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता बेहतर होती है। उन्होंने जैन कंपनी के टिशु कल्चर के पौधे लगाए हैं। टिशू कल्चर के पौधों में रंग, गुणवत्ता और उत्पादन सब एक बराबर होता है।
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अनार की प्रचलित किस्मों में भगवा, सिंदूरी, गणेश, जोधपुर रेड, आलंदी, आरक्ता, ज्योति और मृदुला शामिल हैं। अनार शुष्क इलाकों की फसल है, इसे पर्याप्त नमी की जरूरत होती है। फसल की गुणवत्ता और आकार अच्छा बने रहे, इसके लिए सिंचाई का ध्यान रखना जरूरी है। अनार की खेती में ड्रिप से सिंचाई करना सबसे अच्छा माना जाता है।
जयदीप सर्टिफाइड अनार किसान हैं और अनार की खेती की बारीकियों को अच्छे से समझते हैं। उन्होंने बताया कि पौधों के बीच उचित दूरी होना जरूरी है। पौधे 15×9 फीट की दूरी पर लगने चाहिए, ताकि उनमें हवा का सही से पास हो जाए और उन्हें पर्याप्त धूप मिले।
बीमारियों से कैसे बचाएं फल?
जयदीप ने अनार में लगने वाली बीमारियों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पौधे लगाने के बाद से ही उनकी देखभाल करनी चाहिए। अगर पत्ते सूख रहे हों या फंगस लग रहा हो, तो तुरंत स्प्रे करना चाहिए। अनार की खेती को निमेटोड और तेलिया जैसी बीमारियां काफी नुकसान पहुंचाती हैं। निमेटोड मिट्टी में मौजूद रोग होते हैं, जो पूरे बाग को सुखा सकते हैं। उन्होंने बताया कि निमेटोड दो प्रकार के होते हैं एक फायदेमंद और एक नुकसानदायक। फायदेमंद निमेटोड को बढ़ावा देने से हानिकारक निमेटोड का असर कम हो जाता है।
जयदीप कहते हैं, पौधे को क्या दिया जा रहा है, ये उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना कि ये, वो क्या ग्रहण कर रहे हैं। पौधे में पोषण तत्वों का संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। पौधे 95% पोषण सूर्य से कार्बन के रूप में लेते हैं, जबकि 5% जड़ से। इसलिए रूट मैनेजमेंट पर भी ध्यान देना जरूरी है।
भारत में कहां – कहां होती है अनार की खेती?
भारत में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में अनार की खेती की जाती है। राजस्थान के जालोर, बीकानेर, जोधपुर और बांसवाड़ा में किसान अनार की खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं। भारत अनार उत्पादन में दुनिया में सातवें नंबर पर है। भात में 2. 8 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती की जाती है । साल 2022-23 में भारत ने संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश, नेपाल, नीदरलैंड, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, बहरीन और ओमान सहित विभिन्न देशों में 62,280 मीट्रिक टन अनार का निर्यात किया, जिसकी कुल कीमत 58.36 मिलियन अमेरिकी डॉलर रही।