लखनऊः गन्ने की खेती में भारत दुनिया में नम्बर एक पर हैं वहीं एक्सपोर्ट में भारत का स्थान दूसरा है। इन आकंडे एक साथ देकने पर पता चलता है कि देश में गन्ना और उससे बनने वाले उत्पादों की खपत बहुत ज्यादा है। देश में गन्ने का उत्पादन में और बढ़ोत्तरी और किसानों की लागत कम हो इसके लिए कई सरकारी संस्थाएं और प्राइवेट कंपनिया अथक प्रयास कर रही और सफल भी हो रही हैं। इसके साथ कई खोजी किसान भी है जो खेती में कई प्रयोग करते हैं जिससे वो किसान समाज के उत्थान में अपना योगदान दे पाएं। गन्ने के क्षेत्र में कम लागत में अधिक उत्पादन वाली गन्ना बुआई की विधि को सामने रखने वाले फगवाड़ा के किसान है अवतार सिंह। इन्होंने किसानों वर्टिकल सिंगल बड विधि से गन्ना बुआई की जानकारी दी और खुद इस विधि से गन्ना उगाते भी हैं।
क्या है वर्टिकल सिंगल बड विधि
इस विधि के नाम में ही इस विधि की पूरी प्रकिया छुपी हुई है। वर्टिकल यानि खड़ी, सिंगल मतलब एक, बड मतलब गुल्ली; इन तीनों शब्दों को मिलाकरके जिस प्रक्रिया का यूज किया गया है उसे कहते हैं वर्टिकल सिंगल बड मेथड। गन्ना बुआई की इस विधि में एक आंख की गन्ने की गुल्ली को नाली के किनारे पर दक्षिण दिशा की तरफ सीधा लगा दिया जाता है। नाली वाला हिस्सा सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता है। अवतार सिंह का उद्धेश्य इस विधि के माध्यम से कम पानी, कम बीज, कम फर्टिलाइजर और कम कीटनाशक के गन्ने की खेती करना है। उत्पादन अच्छो हो और लागत न्यूनतम जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सके।
यह विधि महत्वपूर्ण क्यों है?
गन्ना बुआई के पारम्परिक तरीके में गन्ने के बीज को नाली में लेटाकर रखा जाता है और मिट्टी चढ़ाकर सिंचाई कर दी जाती है जिससे मिट्टी नरम हो जाए और गन्ने में फुटाव आ जाए।
उसके बाद ट्रैंच विधि से गन्न की बुआई शुरू हुई जिसमें एक आंख और दो आंख दोनो का इस्तेमाल किया जाता है। इस विधि में भी बीज की मात्रा ज्यादा लगती है।
रिंग पिट मैथड में गढ्ढा खोदने और उसमें बीज लगाने में अच्छी लागत आ जाती है पर इससे खर्चा बढ़ जाता है। उत्पादन भले ही अच्छा मिलता हो।
इस विधि का फोकस ही न्यूनतम बीज, न्यूनतम पानी और ज्यादा से ज्यादा उत्पादन मिलना है।