1-पाकिस्तान को नहीं, भारत को मिलेगा बासमती चावल का जीआई टैग
सुगंधित बासमती चावल के लिए जीआई टैग भारत को मिलने का रास्ता साफ होता दिख रहा है. दरसल पाकिस्तान ने भी बासमती चावल पर जीआई टैग हासिल करने के लिए आवेदन किया था, जिसे यूरोपियन यूनियन ने रद्द करते हुए दोबारा से पब्लिश किया है. एक्सपर्ट ने कहा है कि पाकिस्तान के आवेदन का दोबारा प्रकाशन यह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि जीआई टैग पाने के लिए भारत का रास्ता पहले से और साफ हो गया है.
जीआई टैग किसी भी प्रोडक्ट के ओरिजिन को दर्शाता है. इसमें उसकी क्वालिटी, खूबी आदि का जिक्र होता है और इससे उस प्रोडक्ट की वैल्यू में इजाफा होता है. बासमती चावल के लिए जीआई टैग हासिल करने की लड़ाई भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही है. पाकिस्तान ने कई पूसा से विकसित चावल की कई किस्मों की चोरी कर उत्पादन किया है. भारत ने 2018 में बासमती चावल पर जीआई टैग के लिए आवेदन किया था और पाकिस्तान ने भी जीआई टैग के लिए यूरोपीय यूनियन में आवेदन कर रखा है।
2-केंद्र सरकार ने पराली जलाने वालों को एमएसपी से बाहर करने के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव को लागू किया
पराली जलाने के लिए हतोत्साहन लाने की सुप्रीम कोर्ट की 2023 की सिफारिश का हवाला देते हुए, केंद्र सरकार ने इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लाभ से खेत में आग जलाने वालों को बाहर करने की दिशा में आगे बढ़ना शुरू कर दिया है।
3-पूरे भारत में चाय का उत्पादन 13 मिलियन किलोग्राम कम हो गया है।
चाय उद्योग में माहौल निराशाजनक है क्योंकि सीजन 2024 उत्पादकों को खुश करने में विफल रहा है। टी बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च, 2024 की अवधि के लिए उत्तर भारत (असम और पश्चिम बंगाल) में चाय का उत्पादन 21 मिलियन किलोग्राम से अधिक कम है, जबकि अखिल भारतीय उत्पादन 13 मिलियन किलोग्राम से अधिक कम है।इसकी वजह मौसम संबंधी समस्याओं और वित्तीय तनाव जैसी चुनौतियों को बताया जा रहा है।
4-धान की अधिक पैदावार के लिए किसान उगा सकते हैं धान की बाढ़ प्रतिरोधी उन्नत किस्म स्वर्णा सब 1
भारत में धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है यहाँ तक कि कई राज्यों में किसान धान की खेती पर ही निर्भर रहते हैं। इसलिए किसानों को उनके क्षेत्र की जलवायु के अनुसार उन्नत किस्मों का चयन करना जरुरी है। ऐसे में जिन जगहों पर अधिक वर्षा, बाढ़ या जल जमाव जैसी प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं उन जगहों के लिये स्वर्ण सब-1 को आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) नई दिल्ली और आईआरआरआई (अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान) फिलीपींस के सहयोगात्मक दृष्टिकोण के तहत विकसित किया गया था। इस किस्म के धान के पौधे 12 से 14 दिन तक पानी में डूबे रहने के बाद भी खराब नहीं होते हैं।
और अब किसानों से लिए सबसे उपयोगी मौसम की जानाकरी
5-किसानों के लिये बड़ी खुशखबरी समय से पहले आएगा मॉनसून, 10 जून तक केरल पहुंचने की संभावना
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा है कि इस साल मॉनसून 19 मई को अंडमान द्वीप पर आ सकता है. आईएमडी ने बताया कि अंडमान द्वीप में मॉनसून के शुरुआत की सामान्य तारीख 22 मई थी लेकिन मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि इस साल निर्धारित समय से तीन दिन पहले यानी की 19 मई तक इसके आने का आनुमान है.
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6-अपने गांव में खोल सकते हैं मिट्टी जांच केंद्र, सरकार देती है पौने चार लाख रुपये की सब्सिडी
केंद्र सरकार ने मिट्टी जांच केंद्र को बढ़ावा देने के लिए सॉइल हेल्थ कार्ड नाम से एक योजना शुरू की है. इस योजना के तहत सरकार पंचायत स्तर पर मिनी मिट्टी जांच केंद्र खोलने में मदद करती है. इस लैब में पंचायत और उसके आस- पास के गांव के खेतों की मिट्टी की जांच की जाती है. खास बात यह है कि मिट्टी जांच केंद्र भी दो तरह के होते हैं. पहला है इममोवबल सॉयल टेस्टिंग लैबोरेट्री. यानी आप एक दुकान किराए पर लेकर मिट्टी जांच केंद्र शुरू कर सकते हैं. यह दुकान आप गांव में भी शुरू कर सकते हैं. वहीं, दूसरा है मोबाइल सॉयल टेस्टिंग लैबोरेट्री. इसके तहत आपको एक गाड़ी खरीदनी पड़ेगी, जिसमें मिट्टी जांच केंद्र के सभी उपकरण रख सकते हैं. इस गाड़ी से आप गांव-गांव घुमकर मिट्टी की जांच कर सकते हैं और बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.
अगर किसान अपने मिट्टी की जांच करवाना चाहते हैं, तो उसे खेत की मिट्टी लेकर जांच केंद्र जाना होगा. मिट्टी की जांच करने के बाद किसान केंद्र से प्रिंटेड रिजल्ट मिल जाएगा. वहीं, मिट्टी की जांच करने का चार्ज प्रति सैंपल 300 रुपये होगी. इस तरह आप गांव में इस बिजनेस को खोल कर आराम से महीने में 15 से 20 हजार रुपये कमा सकते हैं.